Nojoto: Largest Storytelling Platform

पल्लव की डायरी शौक शौक में लते बहुत भारी पड़ जाती ह

पल्लव की डायरी
शौक शौक में लते
बहुत भारी पड़ जाती है
माना मिजाज हमारा मेहमानबाजी का है
मगर गले हम सब को लगा लेते है
बिस्तर से उठे नही रात तक
कितनी चाय गले लगा लेते है
बगैर नफा नुकसान देखे
अपने दिल जला लेते है
गोरे तो चले गये लेकिन
उनकी याद में उनके कानूनो
और चाय को आज भी 
गुलामी की तरह झेले जाते है
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #Tea उनके कानूनों और चाय को गुलामी की तरह आज भी झेले जाते है
#nojotohindi

#Tea उनके कानूनों और चाय को गुलामी की तरह आज भी झेले जाते है #nojotohindi #कविता

724 Views