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मैं वह लानत हूँ जो इन्सान पर पड़ रही है मैं उस वक़

मैं वह लानत हूँ
जो इन्सान पर पड़ रही है
मैं उस वक़्त की पैदाइश हूँ
जब तारे टूट रहे थे
जब सूरज बुझ गया था
जब चाँद की आँख बेनूर थी
मेरी माँ की कोख मज़बूर थी

#अमृता_प्रीतम 
#जन्मजयंती अमृता प्रीतम
मैं वह लानत हूँ
जो इन्सान पर पड़ रही है
मैं उस वक़्त की पैदाइश हूँ
जब तारे टूट रहे थे
जब सूरज बुझ गया था
जब चाँद की आँख बेनूर थी
मेरी माँ की कोख मज़बूर थी

#अमृता_प्रीतम 
#जन्मजयंती अमृता प्रीतम