एक तरफ़ा इश्क़ में न जाने कितने बर्बाद हुए ख़्वाब विसाल-ए-यार के न कभी आबाद हुए ख़याल-ए-दिल-ए-आईने में जिसका चेहरा है हमारे महबूब किसी और के नाम से नौशाद हुए इश्क़ का एक रास्ता दर्द की गलियों से गुजरा है हम जाकर उसी गली में भी कितने ही शाद हुए इख्तियार नहीं हमारा उनके दिल की जुम्बिश पे वो हमारे होठों पर ठहरी हुई एक फरियाद हुए इस एक तरफ़ा इश्क़ की रवायतें है कुछ अलग होके तन्हा महफ़िलों में तन्हाई में शमशाद हुए ♥️ Challenge-757 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।