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बात उन दिनों की है,जब हम बालक हुआ करते थे, नटखट अ

बात उन दिनों की है,जब हम बालक हुआ करते थे, 
नटखट अदाओं से,सबके दिलों को छुआ करते थे।

अपने-पराये न छोटे-बडे हुआ करते थे,
दौड़कर,मुस्कुराकर सबके पैर छुआ करते थे,
बात तब की है,जब हम मन के सच्चे हुआ करते थे, 

मंदिर-मस्जिद,गुरूद्वारा-चर्च हुआ करते थे,
सच में अपने तो सबसे खर्च चला करते थे,
नटखट अदाओं से,सबके दिलों को छुआ करते थे।

पसंद-नापसंद खाने में,कुछ पता नही होता था,
मां के हाथ का सब कुछ,स्वाद बहुत होता था।

गिफ्ट,तोहफे न कोई सरप्राइज हुआ करते थे,
जन्मदिन में चूमकर सब दुआ दिया करते थे,
बात तब की है,जब हम बहुत भोले हुआ करते थे।

ईगो, स्टेटस न कोई टशन हुआ करते थे,
बस मिट्टी और पानी में मग्न रहा करते थे,
बात उन दिनों की है,जब हम मां,माटी और मनुष्य से प्रेम किया करते थे।
नटखट अदाओं से,सबके दिलों को छुआ करते थे।

©Anand Prakash Nautiyal #बालपन #नटखट#अदायें

#stay_home_stay_safe
बात उन दिनों की है,जब हम बालक हुआ करते थे, 
नटखट अदाओं से,सबके दिलों को छुआ करते थे।

अपने-पराये न छोटे-बडे हुआ करते थे,
दौड़कर,मुस्कुराकर सबके पैर छुआ करते थे,
बात तब की है,जब हम मन के सच्चे हुआ करते थे, 

मंदिर-मस्जिद,गुरूद्वारा-चर्च हुआ करते थे,
सच में अपने तो सबसे खर्च चला करते थे,
नटखट अदाओं से,सबके दिलों को छुआ करते थे।

पसंद-नापसंद खाने में,कुछ पता नही होता था,
मां के हाथ का सब कुछ,स्वाद बहुत होता था।

गिफ्ट,तोहफे न कोई सरप्राइज हुआ करते थे,
जन्मदिन में चूमकर सब दुआ दिया करते थे,
बात तब की है,जब हम बहुत भोले हुआ करते थे।

ईगो, स्टेटस न कोई टशन हुआ करते थे,
बस मिट्टी और पानी में मग्न रहा करते थे,
बात उन दिनों की है,जब हम मां,माटी और मनुष्य से प्रेम किया करते थे।
नटखट अदाओं से,सबके दिलों को छुआ करते थे।

©Anand Prakash Nautiyal #बालपन #नटखट#अदायें

#stay_home_stay_safe