हमें फक्र है हम बशर हैं इस हयात के हम शान से जीते हैं क़ुदरत का अजूबा है हम, हम अभिमान से जीते हैं कई अविष्कार किये हैं हमने कई ग्रंथ लिख डाले हैं मिट्टी को इमारत बना डाला है हम शान से जीते हैं पर अफ़सोस ये भी है कि बेज़ुबानों को समझ नहीं पाए हम किये हैं कई अत्यचार हमने हम ज़िन्दान में जीते हैं ज़िन्दान- prison (यहाँ ज़िन्दान का तातपर्य मन की क़ैद से है) 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 163 में स्वागत करता है..🙏🙏