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वर्ष 1975 से 77 के दौर में जब देश में आपातकाल लगा

वर्ष 1975 से 77 के दौर में जब देश में आपातकाल लगा था तब जहां पूरे देश में सरकार की तानाशाही का विरोध हो रहा था वही इस विद्यालय परिसर में सरकार की वाहवाही हो रही थी दरअसल उस समय के प्रमुख वामपंथी पार्टी ने आपातकाल का समर्थन किया और उस दौरान मानवाधिकार उल्लंघन उन्हें हिस्सा भी लिया था पिछली सदी के आखिरी दशक में भी हिंसा की कई बड़ी घटनाएं दी वर्ष 2000 में विश्वविद्यालय परिसर में हुई हिंसा का एक्शन सनी के मामला संसद में कर्नल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने उठाया था मामला यह था कि जो एक बार में वामपंथी संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें पाकिस्तान से भी शायर आए थे वह भारत-पाकिस्तान संबंधों में भारत को बुरा और पाकिस्तान को अच्छा बताने के लिए नज्में गाए जा रहे थे महज 1 वर्ष पहले कारगिल युद्ध में भारत को दोषी बताते हुए लिखे गए शेरों भी पढ़े जा रहे थे उस खुले सभागार में दर्शकों के भेज दो भारतीय सैनिक भी बैठे थे जो उस समय तो अवश्य करते हैं लेकिन कारगिल की लड़ाई में वह भी शामिल रहे थे उन्होंने खड़े होकर इस कार्यक्रम का विरोध किया जवाब में विश्वविद्यालय परिसर के वामपंथियों ने उन दोनों सैनिकों को गिर कर पीटा और आधा कर कर मुख्य द्वार के बाहर फेंक दिया कर्नल गुड्डी ने जब संसद में पूर्व आरती सुनाया तो उसे समय भी विश्वविद्यालय में दी गई जा रही राजशिक्षा प्रदेश में प्रसन्न होते थे

©Ek villain #राष्ट्रीय विरोधी गतिविधियों में राही सक्रियता

#hugday
वर्ष 1975 से 77 के दौर में जब देश में आपातकाल लगा था तब जहां पूरे देश में सरकार की तानाशाही का विरोध हो रहा था वही इस विद्यालय परिसर में सरकार की वाहवाही हो रही थी दरअसल उस समय के प्रमुख वामपंथी पार्टी ने आपातकाल का समर्थन किया और उस दौरान मानवाधिकार उल्लंघन उन्हें हिस्सा भी लिया था पिछली सदी के आखिरी दशक में भी हिंसा की कई बड़ी घटनाएं दी वर्ष 2000 में विश्वविद्यालय परिसर में हुई हिंसा का एक्शन सनी के मामला संसद में कर्नल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने उठाया था मामला यह था कि जो एक बार में वामपंथी संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें पाकिस्तान से भी शायर आए थे वह भारत-पाकिस्तान संबंधों में भारत को बुरा और पाकिस्तान को अच्छा बताने के लिए नज्में गाए जा रहे थे महज 1 वर्ष पहले कारगिल युद्ध में भारत को दोषी बताते हुए लिखे गए शेरों भी पढ़े जा रहे थे उस खुले सभागार में दर्शकों के भेज दो भारतीय सैनिक भी बैठे थे जो उस समय तो अवश्य करते हैं लेकिन कारगिल की लड़ाई में वह भी शामिल रहे थे उन्होंने खड़े होकर इस कार्यक्रम का विरोध किया जवाब में विश्वविद्यालय परिसर के वामपंथियों ने उन दोनों सैनिकों को गिर कर पीटा और आधा कर कर मुख्य द्वार के बाहर फेंक दिया कर्नल गुड्डी ने जब संसद में पूर्व आरती सुनाया तो उसे समय भी विश्वविद्यालय में दी गई जा रही राजशिक्षा प्रदेश में प्रसन्न होते थे

©Ek villain #राष्ट्रीय विरोधी गतिविधियों में राही सक्रियता

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Ek villain

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