आईना आईना कही टूट ना जाना देख मेरा प्रतिबिंब आईना तू भी शर्मा जाता है देख मेरा मनमहोक सुन्दर प्रतिबिंब। अईना कब कहा तू सच दिखता पाता है अईना तू हमेशा उल्टा प्रतीबिब दिखता है तुझे देख हमेशा इंसान खुद पर खुद इतराता है दिलो में होते है राज,चेहरा कहा सच्च बता पाता है उल्टा देख इंसान खुद पे नाज़ बताता है जिस दिन सच्च बोले आइना उस दिन शीशा तोड़ा जाता है फिर भी शीशे के सौ टुकड़ों में भी सौ एक ही प्रतिबिंब दर्शाता है यही गलती कर इंसान खुद ही ता उम्र पछताता है आइने में इंसान अपना चेहरा उल्टा ही देख पाता है यही गलती वो सारी उम्र बार बार दोहराता है। आइना कब कहा तू सच्च बता पाता है #आइना लिखित रूप में मेरी कविता###🌹🌹🌹आइना कब सच्च बता पाता है