दिल्लगी हीं करनी थी तो मोहब्बत की बातें क्यों की मिलना था दिन में तो ख्याब चाँदनी रात की क्यों की !! दर्द-ए-दिल ही देना था तो वादा इलाज-ए-इश्क की क्यों की नजर से तवायफ समझना था तो जिक्र बीबी बनाने की क्यों की !! दिल्लगी हीं करनी थी तो मोहब्बत की बातें क्यों की... ©durgesh nandini #nojoto#2linear#poetry