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।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।। *।।बलात्कार प

।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।। *।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।।*  *।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।।* 
03-जुलाई-2018(10:16 PM)

(यह लेख आज सुबह सतना में एक बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना पढ़कर लिखा हैं। *मैं अनुराग चौरसिया* यही मंथन कर रहा हूँ कि ऐसी घटनाएं इतनी ज्यादा क्यों बढ़ गई हैं, जिसे आपके साथ साझा कर रहा हूँ।यह लेख पूर्णतः मेरी विचारधारा पर आधारित हैं)

विगत दिनों में सामूहिक बलात्कार की घटनाओं को देख कर मेरा मन बहुत दुखी हैं।सोच रहा हूँ कि ऐसा क्या होने लगा कि सामूहिक बलात्कार की घटनाएं इतनी बढ़ने लगी हैं।ऐसा लगता है कि इन लोगो के अंदर कोई दरिंदा ही प्रवेश कर जाता होगा जो इस तरह के दुष्कर्म करते हैं।ऐसे दरिंदो को इन मासूम सी बच्चियों के दर्द और चीख भी नही सुनाई देती हैं क्या?क्या सच मे हवस इतनी ज्यादा किसी पर हावी हो सकती हैं?
      प्रतिदिन मंदसौर सामूहिक बलात्कार की खबर अखबार में पढ़कर आत्मा अंदर तक हिल गयी थी और आज सुबह सतना में एक बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया।इतने सारे सवालों का अंबार सा मुझ पर टूट गया हैं कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा हैं।छोटी छोटी बच्चियां भी सुरक्षित नही हैं,कोई भी सुरक्षित नही हैं।
            मेरे मष्तिष्क ने मंथन शुरू किया कि ऐसा क्या होता हैं कि ऐसे लोगों में इतनी हवस होती हैं।फिर मेने इन सबके पीछे का कारण खोजना शुरू किया कि वास्तविकता में इन सबके पीछे कारण क्या हो सकता हैं?पहले भी तो लोग रहते थे किंतु ऐसी घटनाएं कुछ ही होती थी, किन्तु आज कल ये रोज का खेल बन चुका हैं।इंदौर में चार माह की बच्ची की घटना हो, कठुआ,मंदसौर या फिर सतना हो।मेरा मष्तिक जहा तक सोच सकता था,मुझे इन सबके पीछे का मूलकारण पोर्न (अश्लील) वीडियो लगता हैं।आज किशोर से लेकर उम्रदराज किसी के मोबाइल को खंगाला जाए तो कही न कही पोर्न मिल ही जाएगी।अगर उन्होंने स्वयं डाउनलोड नही की होगी तो किसी व्हाट्सएप ग्रुप में आकर डाउनलोड हुई होगी।
।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।। *।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।।*  *।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।।* 
03-जुलाई-2018(10:16 PM)

(यह लेख आज सुबह सतना में एक बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना पढ़कर लिखा हैं। *मैं अनुराग चौरसिया* यही मंथन कर रहा हूँ कि ऐसी घटनाएं इतनी ज्यादा क्यों बढ़ गई हैं, जिसे आपके साथ साझा कर रहा हूँ।यह लेख पूर्णतः मेरी विचारधारा पर आधारित हैं)

विगत दिनों में सामूहिक बलात्कार की घटनाओं को देख कर मेरा मन बहुत दुखी हैं।सोच रहा हूँ कि ऐसा क्या होने लगा कि सामूहिक बलात्कार की घटनाएं इतनी बढ़ने लगी हैं।ऐसा लगता है कि इन लोगो के अंदर कोई दरिंदा ही प्रवेश कर जाता होगा जो इस तरह के दुष्कर्म करते हैं।ऐसे दरिंदो को इन मासूम सी बच्चियों के दर्द और चीख भी नही सुनाई देती हैं क्या?क्या सच मे हवस इतनी ज्यादा किसी पर हावी हो सकती हैं?
      प्रतिदिन मंदसौर सामूहिक बलात्कार की खबर अखबार में पढ़कर आत्मा अंदर तक हिल गयी थी और आज सुबह सतना में एक बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया।इतने सारे सवालों का अंबार सा मुझ पर टूट गया हैं कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा हैं।छोटी छोटी बच्चियां भी सुरक्षित नही हैं,कोई भी सुरक्षित नही हैं।
            मेरे मष्तिष्क ने मंथन शुरू किया कि ऐसा क्या होता हैं कि ऐसे लोगों में इतनी हवस होती हैं।फिर मेने इन सबके पीछे का कारण खोजना शुरू किया कि वास्तविकता में इन सबके पीछे कारण क्या हो सकता हैं?पहले भी तो लोग रहते थे किंतु ऐसी घटनाएं कुछ ही होती थी, किन्तु आज कल ये रोज का खेल बन चुका हैं।इंदौर में चार माह की बच्ची की घटना हो, कठुआ,मंदसौर या फिर सतना हो।मेरा मष्तिक जहा तक सोच सकता था,मुझे इन सबके पीछे का मूलकारण पोर्न (अश्लील) वीडियो लगता हैं।आज किशोर से लेकर उम्रदराज किसी के मोबाइल को खंगाला जाए तो कही न कही पोर्न मिल ही जाएगी।अगर उन्होंने स्वयं डाउनलोड नही की होगी तो किसी व्हाट्सएप ग्रुप में आकर डाउनलोड हुई होगी।

*।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।।* *।।बलात्कार पर मंथन::अनुराग चौरसिया।।* 03-जुलाई-2018(10:16 PM) (यह लेख आज सुबह सतना में एक बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना पढ़कर लिखा हैं। *मैं अनुराग चौरसिया* यही मंथन कर रहा हूँ कि ऐसी घटनाएं इतनी ज्यादा क्यों बढ़ गई हैं, जिसे आपके साथ साझा कर रहा हूँ।यह लेख पूर्णतः मेरी विचारधारा पर आधारित हैं) विगत दिनों में सामूहिक बलात्कार की घटनाओं को देख कर मेरा मन बहुत दुखी हैं।सोच रहा हूँ कि ऐसा क्या होने लगा कि सामूहिक बलात्कार की घटनाएं इतनी बढ़ने लगी हैं।ऐसा लगता है कि इन लोगो के अंदर कोई दरिंदा ही प्रवेश कर जाता होगा जो इस तरह के दुष्कर्म करते हैं।ऐसे दरिंदो को इन मासूम सी बच्चियों के दर्द और चीख भी नही सुनाई देती हैं क्या?क्या सच मे हवस इतनी ज्यादा किसी पर हावी हो सकती हैं? प्रतिदिन मंदसौर सामूहिक बलात्कार की खबर अखबार में पढ़कर आत्मा अंदर तक हिल गयी थी और आज सुबह सतना में एक बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया।इतने सारे सवालों का अंबार सा मुझ पर टूट गया हैं कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा हैं।छोटी छोटी बच्चियां भी सुरक्षित नही हैं,कोई भी सुरक्षित नही हैं। मेरे मष्तिष्क ने मंथन शुरू किया कि ऐसा क्या होता हैं कि ऐसे लोगों में इतनी हवस होती हैं।फिर मेने इन सबके पीछे का कारण खोजना शुरू किया कि वास्तविकता में इन सबके पीछे कारण क्या हो सकता हैं?पहले भी तो लोग रहते थे किंतु ऐसी घटनाएं कुछ ही होती थी, किन्तु आज कल ये रोज का खेल बन चुका हैं।इंदौर में चार माह की बच्ची की घटना हो, कठुआ,मंदसौर या फिर सतना हो।मेरा मष्तिक जहा तक सोच सकता था,मुझे इन सबके पीछे का मूलकारण पोर्न (अश्लील) वीडियो लगता हैं।आज किशोर से लेकर उम्रदराज किसी के मोबाइल को खंगाला जाए तो कही न कही पोर्न मिल ही जाएगी।अगर उन्होंने स्वयं डाउनलोड नही की होगी तो किसी व्हाट्सएप ग्रुप में आकर डाउनलोड हुई होगी।