Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं गया नहीं कहीं बस थम गया हूं काज संवारने में जर

मैं गया नहीं कहीं बस थम गया हूं
काज संवारने में जरा रम गया हूं

मुलाकातों का दौर था सब भले थे
मैं पाले रहा कौन सा भरम गया हूं

भलों का कहां भला हुआ है कभी
जब गुजरा तो लेके जखम गया हूं

किस्से बहुत चले बाद जाने के मेरे
सोंचा नहीं था सुना तो सहम गया हूं

ये खुदगर्रजों की ही जमीं रही है रूप
जाना तो लेकर सबके मरहम गया हूं

©RUPENDRA SAHU "रूप"
  #iamback #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #कविता 


Sircastic Saurabh प्रशांत की डायरी kavya soni harsha mishra विवेक ठाकुर "शाद" The Janu Show Haal E Dil Vikas Sharma " Sagar "