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कागज़ मिटाना चाहती थी हर याद उसकी, उसके दिए कागज के

कागज़ मिटाना चाहती थी हर याद उसकी,
उसके दिए कागज के टुकड़ो को जला कर...
मिटा न पाई याद उसकी,
कागज को कोरी राख बनाकर...
बुझ गई वो आग जो कागज मे मैने लगाई थी,
पर बुझ न पाई वो आग, जो मेरे दिल मे उसने लगाई थी....
सजा मै उसको दे न पाई, वो जो गया
 मुझको छोड़कर...
मै उन कागज को जला बैठी, मेरे पास जो गया था छोड़कर.... कागज..
कागज़ मिटाना चाहती थी हर याद उसकी,
उसके दिए कागज के टुकड़ो को जला कर...
मिटा न पाई याद उसकी,
कागज को कोरी राख बनाकर...
बुझ गई वो आग जो कागज मे मैने लगाई थी,
पर बुझ न पाई वो आग, जो मेरे दिल मे उसने लगाई थी....
सजा मै उसको दे न पाई, वो जो गया
 मुझको छोड़कर...
मै उन कागज को जला बैठी, मेरे पास जो गया था छोड़कर.... कागज..