घर की दीवारों पर बेहिसाब आड़ी तिरछी रेखाएं ये बताती है बचपन अभी भी यही ठहरा है ख्वाबों में परियों की कहानी है उम्मीदों पर न कोई पहरा है। पीढ़ियों के चेहरे की खुशियां उंसके संग तुतलाती है। सब वैसा ही बोलने लगते है जैसे जैसे वो कह रहा है। घर की दीवारों पर बेहिसाब आड़ी तिरछी रेखाएं ये बताती है बचपन अभी भी यही ठहरा है मेरा चमन मेरा बचपन