ऐसे जुल्फे़ ना बिखेरों ग़ज़ल हो जाओगी, हर्फ़ पिघल गए जिस्म से गर संदल हो जाओगी! खूबसूरती हया में सिमटी रहे तो अच्छा है, दरियाफ़्त कर लो रास्तों को वरना क़त्ल हो जाओगी! घर को संभालो अपने गेंसुओं की तरह, उलझ गई ज़िंदगी तुम सी तो बेदखल हो जाओगी! एक बेटी की तरह संवार दो हर आंगन, सजदे में सर होगा मेरा तुम्हारे, नफ़ल हो जाओगी! ज़माना कायल है तेरे दीदारे जलवे हुस्न का, मुस्कुराओं न इतना उसके वास्ते पहल हो जाओगी! ©kumar ramesh rahi #Love #ग़ज़ल #मोहब्बत #जिस्म #खूबसूरती #जिंदगी #रास्तों #मुस्कराहट #kumarrameshrahi #together