Nojoto: Largest Storytelling Platform

रस्म - ए- रसूल से यूं डाह ना कर, रकीब की बाहों

रस्म - ए- रसूल से यूं डाह ना कर,
रकीब  की  बाहों  में  सिमट,
राम की चाह ना कर,
खुदा की रहमत थी , 
जो बख्श दिया , 
उसपर सवाल कैसा?
चाह तेरी थी तू पाया, 
फिर बवाल कैसा?

©Pt Savya kabir रस्म - ए- रसूल से यूं डाह ना कर,
रकीब  की  बाहों  में  सिमट,
राम की चाह ना कर,
खुदा की रहमत थी , 
जो बख्श दिया , 
उसपर सवाल कैसा?
चाह तेरी थी तू पाया, 
फिर बवाल कैसा?
रस्म - ए- रसूल से यूं डाह ना कर,
रकीब  की  बाहों  में  सिमट,
राम की चाह ना कर,
खुदा की रहमत थी , 
जो बख्श दिया , 
उसपर सवाल कैसा?
चाह तेरी थी तू पाया, 
फिर बवाल कैसा?

©Pt Savya kabir रस्म - ए- रसूल से यूं डाह ना कर,
रकीब  की  बाहों  में  सिमट,
राम की चाह ना कर,
खुदा की रहमत थी , 
जो बख्श दिया , 
उसपर सवाल कैसा?
चाह तेरी थी तू पाया, 
फिर बवाल कैसा?