शिव शंकर, तेरी महिमा न्यारी, ब्याहन स्वयं गमने अधनारी, जटा सजाकर गंग मृगांका शरीर मले, चले भस्म त्रिशंका। हर हरि सभा संग पधारे, नन्दी के प्रभ पालन हारे, महाकाल विघ्ननाशक भीम, भुजंग विभूषण गिरिप्रिय शील। हर हर महादेव मुनिषा,जगतगुरु व्योमकेश विभिषा। ©Senty Poet #mahashivaratri #Jay #ishwar #Hariom #Shiva