नमक का दरोगा, जो सच्चाई और ईमानदारी पर अंत तक अड़ा रहा, सभी की हँसी, उपेक्षा और दीनता का पात्र बना, पिता और पत्नी भी नाराज़ हुए किन्तु अंततः स्वयं पंडित अलोपीदीन ने अपनी समस्त जायदाद का मैनेजर नियुक्त किया और स्वयं को धन्य समझा।उनकी सभी कहानियाँ दिल को छू लेती है और अभिभूत कर देती है, क्या ईदगाह,क्या दो बैलों की कहानी, क्या बड़े भाईसाहब,क्या नशा और तमाम कहानियाँ! पर इस कहानी ने सत्य और ईमानदारी के आदर्श को जिस तरह से स्थापित किया है, अद्भुत है।आज भी इस कहानी के पात्र हमें इर्दगिर्द फ़ैले दिखाई देते हैं।कहानी की भाषा-शैली अति सरल और सादगी से युक्त, फ़िर भी ऐसा चुटीला पन है जो हमें हल्का सा गुदगुदाता रहता है और यह हर कहानी की विशेषता है। अर्थ और भावों की गहराई लिये हुए हर पंक्ति होती है जिसे दुबारा-तिबारा पढ़ने का मन करता है इतना रस और आनंद आता है कि कुछ न पूछो!P. T. O. #मुंशी प्रेमचंद#०१.०८.२०#भाग२ #SilentWaves