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ना जाने कब किसी मुहब्बत हो जाती है, उसके यादों में

ना जाने कब किसी मुहब्बत हो जाती है,
उसके यादों में दिल खो जाती है!
दिन-रात आता है बस उसका हीं खयाल,
ए मेरे दिल जरा खुद को तू संभाल!

मुहब्बत ना देखे जाती-धर्म करे ये अपना काम,
दिल की गहराई में ये छुपाए किसी का नाम!
उसकी छवि हमेशा आंखों में बस सी जाती है,
ना जाने कब किसी से मुहब्बत हो जाती है!

करके मुहब्बत मानव हो जाता निहाल,
सच्ची है मुहब्बत तो ठीक वरना कर देता ये कंगाल!
मुहब्बत से ये दुनियां भी जीती जाती है,
ना जाने कब किसी से मुहब्बत हो जाती है!

उनके प्यार का छाया है ऐसा खुमार,
एक दिन उसे ना देखू तो हो जाता मैं बीमार!
इस बिमारी का इलाज हो नही पाती है,
ना जाने कब किसी से मुहब्बत हो जाती है!

है वो मेरी दिल कि धड़कन मेरी है वो जान,
जिसके लिए सारी खुशियां कर दूं कुर्बान!
मेरे लिए वो  हद से गुजर तक जाती है,
ना जाने कब किसी से मुहब्बत हो जाती है!!

©Writer Bikash Singh
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