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जीने की चाहत तो मैं भी रखता हूं... लेकिन हर पल मैं

जीने की चाहत तो मैं भी रखता हूं...
लेकिन हर पल मैं जीता मारता हूं...


आसमा को छूना मैं भी चाहता हूं...
उड़ान भरू कैसे कुछ नही समझ पाता हूं... 


बीन पर नही उड़ा जाता फिर रुक जाता हूं...
थोड़ा मायूस थोड़ा निराश हो जाता हूं...

जीने की चाहत तो मैं भी रखता हूं...
लेकिन हर पल मैं जीता मारता हूं...


मैं अपने ख्यालों की दुनियां में खोया रहता हूं...
सोचता हूं , पर वाले परिंदों का उड़ना भी क्या,
बीन परो के उड़े जो वो परिंदा बनना चाहता हूं...

जीने की चाहत तो मैं भी रखता हूं...
लेकिन हर पल मैं जीता मारता हूं...

संघर्ष है ज़िंदगी का नाम, मैं जीतना तपता हूं...
उतना ही मज़बूत हो जाता हूं...


लड़ रहा हूं ज़िंदगी से मरते दम तक लड़ता ही रहूंगा...
लक्ष्य है जो मेरा उसे भेद कर ही रहूंगा...


जीत जाऊंगा मैं ये जिंदगी की जंग...
रात दिन होते है एक दूजे के संग...

आज है अंधेरा कल सवेरा भी होगा...
उम्मीद की किरण से दूर हर अंधेरा होगा...

जीने की चाहत तो मैं भी रखता हूं...
लेकिन हर पल मैं जीता मारता हूं...

©Jonee Saini
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