Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं हिंदुस्तान हूँ। हाँ आज में हिंदुस्तान तो हूँ प

मैं हिंदुस्तान हूँ।
हाँ आज में हिंदुस्तान तो हूँ पर मैं वो गाँधी का मुल्क़ नही हूँ, जिसके लिए गाँधी ने लड़ाई लड़ी थी, यह वो मुल्क़ नही जो गाँधी ने सोचा था, यह वो मुल्क़ नही जिसका अम्बेडकर ने संविधान रचा था, वो मुल्क़ सबके लिए बराबर था, हर किसी को बराबरी का हक़ था, और अपनी मर्ज़ी से जीने की  आज़ादी थी, आज का हिन्दुस्तान बहुत बदला बदला सा नज़र आता है,
Continue in caption... 
मैं हिंदुस्तान हूँ।
हाँ आज में हिंदुस्तान तो हूँ पर मैं वो गाँधी का मुल्क़ नही हूँ, जिसके लिए गाँधी ने लड़ाई लड़ी थी, यह वो मुल्क़ नही जो गाँधी ने सोचा था, यह वो मुल्क़ नही जिसका अम्बेडकर ने संविधान रचा था, वो मुल्क़ सबके लिए बराबर था, हर किसी को बराबरी का हक़ था, और अपनी मर्ज़ी से जीने की  आज़ादी थी, आज का हिन्दुस्तान बहुत बदला बदला सा नज़र आता है,
एक छुपा हुआ ग्रह युद्ध दिखाई दे रहा है, जो कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हो रहा है, यह सीधी लड़ाई नेताओं से शुरू होकर आम नागरिकों में तेज़ी से फैलती दिख रही है, इसमें भारतीय मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है, इन लोगो ने हम लोगो के सोचने समझने की शक्ति ख़त्म कर दी है, चार बंदर देश की हर समस्या का समाधान या सही ग़लत बताते पाए जाते है, ज़मीन की बात हवा हो गई है, डेमोक्रेसी में असहमती की व सवाल पूछने की आज़ादी होती है, यही इसकी सबसे खूबसूरत खूबी है, आज के दौर में इन दोनों की ही कोई जगह नही है, सरकार के किसी फैसले का विरोध करना आपको देशद्रोही होने का तमगा देता है, और सरकार से सवाल करने वालो को गोली-गाली या लाठी खानी पड़ती है,  इंटरनेट और इतने आधुनिक ज़माने में भी लोग एकतरफ़ा खड़े दिखाई देते है बिना सोचे समझे हर बात पर अपनी सहमति जताते है, जबकि उनकी आंखों के सामने सब कुछ है, या तो सरकार लोगो को बेवकूफ बनाने में सफल हो गई है या हम खुद बनते जा रहे है,

आज की लड़ाई अगर कोई लड़ रहा हूं तो वो भारतीय छात्र हैं, तमाम परेशानियों के साथ वो हमारी और खुद की लड़ाई लड़ रहा है, अगर हम किसी को पिटता हुआ देख कर खुश हो रहे है तो सरकार अपने मकसद में कामयाब दिखती है वो देश को बांटने में सफल हुए हैं,

याद रखने वाली बात यह है कि जो ख़ुद को इन सब मे सुरक्षित समझ रहा है, वो सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी में है, ये विचारधारा कल आपकी आज़ादी (खाने की उठने की सोने की कपड़े पहनने की साथी चुनने की घूमने फ़िरने की) के खिलाफ होगी।
मैं हिंदुस्तान हूँ।
हाँ आज में हिंदुस्तान तो हूँ पर मैं वो गाँधी का मुल्क़ नही हूँ, जिसके लिए गाँधी ने लड़ाई लड़ी थी, यह वो मुल्क़ नही जो गाँधी ने सोचा था, यह वो मुल्क़ नही जिसका अम्बेडकर ने संविधान रचा था, वो मुल्क़ सबके लिए बराबर था, हर किसी को बराबरी का हक़ था, और अपनी मर्ज़ी से जीने की  आज़ादी थी, आज का हिन्दुस्तान बहुत बदला बदला सा नज़र आता है,
Continue in caption... 
मैं हिंदुस्तान हूँ।
हाँ आज में हिंदुस्तान तो हूँ पर मैं वो गाँधी का मुल्क़ नही हूँ, जिसके लिए गाँधी ने लड़ाई लड़ी थी, यह वो मुल्क़ नही जो गाँधी ने सोचा था, यह वो मुल्क़ नही जिसका अम्बेडकर ने संविधान रचा था, वो मुल्क़ सबके लिए बराबर था, हर किसी को बराबरी का हक़ था, और अपनी मर्ज़ी से जीने की  आज़ादी थी, आज का हिन्दुस्तान बहुत बदला बदला सा नज़र आता है,
एक छुपा हुआ ग्रह युद्ध दिखाई दे रहा है, जो कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हो रहा है, यह सीधी लड़ाई नेताओं से शुरू होकर आम नागरिकों में तेज़ी से फैलती दिख रही है, इसमें भारतीय मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है, इन लोगो ने हम लोगो के सोचने समझने की शक्ति ख़त्म कर दी है, चार बंदर देश की हर समस्या का समाधान या सही ग़लत बताते पाए जाते है, ज़मीन की बात हवा हो गई है, डेमोक्रेसी में असहमती की व सवाल पूछने की आज़ादी होती है, यही इसकी सबसे खूबसूरत खूबी है, आज के दौर में इन दोनों की ही कोई जगह नही है, सरकार के किसी फैसले का विरोध करना आपको देशद्रोही होने का तमगा देता है, और सरकार से सवाल करने वालो को गोली-गाली या लाठी खानी पड़ती है,  इंटरनेट और इतने आधुनिक ज़माने में भी लोग एकतरफ़ा खड़े दिखाई देते है बिना सोचे समझे हर बात पर अपनी सहमति जताते है, जबकि उनकी आंखों के सामने सब कुछ है, या तो सरकार लोगो को बेवकूफ बनाने में सफल हो गई है या हम खुद बनते जा रहे है,

आज की लड़ाई अगर कोई लड़ रहा हूं तो वो भारतीय छात्र हैं, तमाम परेशानियों के साथ वो हमारी और खुद की लड़ाई लड़ रहा है, अगर हम किसी को पिटता हुआ देख कर खुश हो रहे है तो सरकार अपने मकसद में कामयाब दिखती है वो देश को बांटने में सफल हुए हैं,

याद रखने वाली बात यह है कि जो ख़ुद को इन सब मे सुरक्षित समझ रहा है, वो सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी में है, ये विचारधारा कल आपकी आज़ादी (खाने की उठने की सोने की कपड़े पहनने की साथी चुनने की घूमने फ़िरने की) के खिलाफ होगी।
arshansari6017

Arsh Ansari

New Creator