मुद्दतों बाद हारा हूं एक चाह को तड़पाया हूं उठ नहीं रहे स्याह फ़रिश्ते की रोए इन आंखों से किसी के शब्द मिटाया हूं सज़ा जो मिले मंजूर हमें बस इक बार नज़्म उकर जाएं ख़ाली पन्नों पे रहमत कर ऐ खुदा माफ़ कर मुझे हर्फ की बरकत से नवाज मुझे एक एक नज़्म उकेरता बदन पे अपनी इतना पागल हूं लेखन पे तेरी देर न कर उठा स्याह रुक जायेगी अब सांस मेरी लिख देना फिर कहानी मेरी स्याह सजा कह देना कामिल कवि। Dedicating a #testimonial to 𝘼𝙡𝙮𝙨𝙝𝙖 𝙎𝙞𝙧𝙢𝙤𝙪𝙧✯ आपसे अनुरोध है कि फिर से लिखना शुरू करे नहीं तो खामखां यहां आंसुओं की धारा बह चलेगी गया तक Kindly requested to you please start writing again Please Please Please Please