अस्पताल के चौथे माले पर अक्सर दिखती हैं ये चुलबुली लड़कियां हां एकदम शांत और सफेद रंग के एक ड्रेस कोड में परवाह नहीं है इन्हे दाग धब्बों की कभी खून तो कभी स्ट्रेचर पर लेटे मरिजो से आने वाली दुर्गंध की और अब तो मास्क भी सांस रोक देता है कभी लोगो की पीड़ा देखी है इन्होंने देखा है किसी को आखरी बार सांस लेते हुए किसी के उधर को चीरते हुए एक शिशु को पहली बार रोते हुए महसूस किया है इन्होंने एक मां के सुकून को बूढ़े दादा के प्यार को छोटे बच्चो के दुलार को मां के स्पर्श जैसी परवाह करती है बच्चो , जवानों और बुजुर्गो की। हां ये मिल जाती है सब एक साथ जब बड़ा तूफ़ान मचाती है। समय की पाबंद एकदम चाकचौबंद खड़ी है 3 घंटे की अगली दूसरी शिफ्ट के लिए बूढ़ी आंखें इंतजार में है इनके लिए बेड पर रखी दवाइयों की चार्ट पढ़ती हुई अम्मा की खांसी की दवाई के लिए अंकल की बैसाखी के लिए छ: घंटे के पार्ट टाइम में करनी है इनको फूल टाइम लाईफ मैनेजमेंट बिना कोई थकावट के कमाल की है ये लड़कियां । ##dedicated to nurses