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पाश ! मानव में : मैंने देखा, आपसी अलगाव चंद टुकड़

पाश !

मानव में :
मैंने देखा, आपसी अलगाव
चंद टुकड़ों के विवाद
संबंधों के मध्य का खालीपन

नहीं था :

जो बारिश की सूक्ष्म बूंद 
का, अटूट विश्वास होता है..मिट्टी पर..

©डॉ. अनुभूति
  #pash#poetry#nojoto