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एक नीति में अनीति हो चली, नियमों में बदलाव हो चले

एक नीति में अनीति हो  चली, नियमों में बदलाव हो चले,
 गर्मी कहती मैं सावन करूंगी,
 बरसात दिवाली को अड़ गई ,अब किसान है मार झेलता
 आंसू अपने स्वयं पोंछता, हाय हाय अब तो उसकी नैया जैसे डूब गई।

शीत रो रही वापस जाओ, वरना मैं भी होली मनाऊ,
 फिर तो यह सोचकर, चारों ओर सन्नाटा छाता,
 दिवाली की रौनक को, वर्षा के साथ बहाता ,
 धरती मां के चरणों में ,अपनी झोली को फैलाता।

 चक्र बदल गया ऋतुओ का, मानव कैसे बच जाए,
 हम बदल गए दुनिया बदली, भगवान कैसे रह जाए। #sesion #kisaan #yqdidi #yqhindi #aakankshatiwari #poetry
एक नीति में अनीति हो  चली, नियमों में बदलाव हो चले,
 गर्मी कहती मैं सावन करूंगी,
 बरसात दिवाली को अड़ गई ,अब किसान है मार झेलता
 आंसू अपने स्वयं पोंछता, हाय हाय अब तो उसकी नैया जैसे डूब गई।

शीत रो रही वापस जाओ, वरना मैं भी होली मनाऊ,
 फिर तो यह सोचकर, चारों ओर सन्नाटा छाता,
 दिवाली की रौनक को, वर्षा के साथ बहाता ,
 धरती मां के चरणों में ,अपनी झोली को फैलाता।

 चक्र बदल गया ऋतुओ का, मानव कैसे बच जाए,
 हम बदल गए दुनिया बदली, भगवान कैसे रह जाए। #sesion #kisaan #yqdidi #yqhindi #aakankshatiwari #poetry