जिंदगी का बसेरा– सा हो गया है । ना जाने कब सवेरा –सा गया है । की कोसते है ,खुदको ना जाने क्यों बड़े हो गए है । जैसे कही गुम– सा हो गया है ,बचपन । जवानी के इस नए दौर में एक बार फिर यादों के समंदर में डूब जाएंगे। और फिर कई रिश्ते उलझ जायेंगे । बरखुददार सब समझदार हो जायेंगे ।😊 ©neet@19 #बदलते_रिश्ते