मेरे दादी का स्वेटर उतने ही, ठंडी का मौसम उतने ही। इस ठंडी के मौसम में भी, देती प्यार कि गर्मी उतने ही। वो तो अब नहीं रही... पर उनके हाथो के प्यार की नर्मी , अभी भी इन स्वेटर में बनीं रही। हर ठंड के मौसम हमें उनके और भी करीब हैं लाते, हर सपनों में आजकल वो हमें अपने गोद में ही हैं खूब खिलाते। उंगली पकड़ मैं एक हाथ से उनकी, एक हाथ मेरे स्वेटर पर बनें स्टिकर पर जाएं। जिसे देख-देख मैं तो खूब ही है इठलाती, जो उनके ना रहने पर भी, उनके प्यार का एहसास करा है जाएं। देखो मम्मा मुझे मेरी दादी की बनी स्वेटर ख़ूब ही तो है भाए, इन स्वेटर में तो हम दादी की कमी को भी भूल ही है जाए। मेरे दादी का स्वेटर उतने ही, ठंडी का मौसम उतने ही। इस ठंडी के मौसम में भी, देती प्यार कि गर्मी उतने ही।... #paidstory1