विषय :- आवारा सपने (12-10-2021) ********************************* मेरे आवारा सपनों का, अब शायद कोई जहाँ नहीं। जो भी चाहता है दिल मेरा, मिलता मुझको यहाँ नहीं। दिल उदास रहता है अक्सर, मायूसियों ने घेरा है। ग़म के अंधेरे छँटते नहीं, अब खोया हुआ सबेरा है। ऐसा लगता है जैसे, अब संग किसी की दुआ नहीं। जो भी चाहता है दिल मेरा, मिलता मुझको यहाँ नहीं। तन्हाइयों में शाम है बीतती, रातों को घना अंधेरा है। मुश्किल है हालात मेरे, जबसे दुख का हुआ बसेरा है। जाने किसकी नज़र लगी, ख़ुशियों का कोई पता नहीं। जो भी चाहता है दिल मेरा, मिलता मुझको यहाँ नहीं। विषय :- आवारा सपने (12-10-2021) मेरे आवारा सपनों का, अब शायद कोई जहाँ नहीं। जो भी चाहता है दिल मेरा, मिलता मुझको यहाँ नहीं। दिल उदास रहता है अक्सर, मायूसियों ने घेरा है। ग़म के अंधेरे छँटते नहीं, अब खोया हुआ सबेरा है।