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सुन ले! गौर से ! ए! दिल पे, बिजली गिराने वालों! के

सुन ले! गौर से ! ए! दिल पे, बिजली गिराने वालों! के दिल मेरा इतना कमजोर भी नहीं है! इन बरसती  बिजलियों  को मैं आशाओं के चमकते जुगनूओं में बदल लूंगा! और आशाओं के उगते सूरज की छांव में फिर चल पड़ूंगा! मगर प्यार और मोहब्बत का अपना यह सफर! मैं नहीं रोकूंगा!

©Satish Chand SHARMA 
  सुनहरी आशाओं का सुनहरा सफर!

सुनहरी आशाओं का सुनहरा सफर! #Poetry

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