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मंजिल क्या हैं मालूम नही थी बस चल रहा हु राही बनकर

मंजिल क्या हैं मालूम नही थी
बस चल रहा हु राही बनकर
कभी अंधेरा कभी उजाला
बस ढूंढ रहा हूं इस कायनात का शिखर

©Drx. Mahesh Ruhil #CancerAwareness
मंजिल क्या हैं मालूम नही थी
बस चल रहा हु राही बनकर
कभी अंधेरा कभी उजाला
बस ढूंढ रहा हूं इस कायनात का शिखर

©Drx. Mahesh Ruhil #CancerAwareness