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तू कौन है, जरा ढूँढ ले। तू अब तो खूद को खूद से जोड

तू कौन है, जरा ढूँढ ले।
तू अब तो खूद को खूद से जोड़ ले।

तू रोज जीती है सबके लिए, 
कभी खूद के लिए भी तू सोच ले।

आज तेरे वजूद का ठिकाना नही,
तुझे तो जानते है आज भी ,
किसी की बेटी, बहन या पत्नी के रूप मे।

तू तो खूद ही पहचान है सबकी,
फिर अब क्यो तेरे ही वजूद पर उंगली उठे।

ऐ नारी तेरे वजूद पर सवाल उठाते वक्त भुल जाते है, 
कि तेरे ही तो वजूद से ये पूरी सृष्टि चले।

फिर तेरे वजूद का ही प्रश्न क्यो उठे।

@curious_poetry_( jigyasha ) नारी का वजूद।
तू कौन है, जरा ढूँढ ले।
तू अब तो खूद को खूद से जोड़ ले।

तू रोज जीती है सबके लिए, 
कभी खूद के लिए भी तू सोच ले।

आज तेरे वजूद का ठिकाना नही,
तुझे तो जानते है आज भी ,
किसी की बेटी, बहन या पत्नी के रूप मे।

तू तो खूद ही पहचान है सबकी,
फिर अब क्यो तेरे ही वजूद पर उंगली उठे।

ऐ नारी तेरे वजूद पर सवाल उठाते वक्त भुल जाते है, 
कि तेरे ही तो वजूद से ये पूरी सृष्टि चले।

फिर तेरे वजूद का ही प्रश्न क्यो उठे।

@curious_poetry_( jigyasha ) नारी का वजूद।
jigyashajha5953

Jigyasha

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