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,मन्द मन्द बह रही थी। मकानो

                       ,मन्द मन्द बह रही थी।
मकानों में लगे कृत्रिम पौधों को देखकर,,
हमारी अज्ञानता पर हँस रही थी।
पेड़ो के कटान पर द्वंद कर रही थी।
बार बार कह रही थी,मनुष्य बड़ा मूर्ख है,,
 आधुनिकता के बनावटी चक्कर में पड़ा, 
मिलावटी दुनियां में जी रहा ढीठ है, हम अक्सर पार्कों में, खुली जगहों पर जाते हैं मगर वहाँ रहते नहीं।
#हवाकहरहीथी #collab #yqdidi    #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
                       ,मन्द मन्द बह रही थी।
मकानों में लगे कृत्रिम पौधों को देखकर,,
हमारी अज्ञानता पर हँस रही थी।
पेड़ो के कटान पर द्वंद कर रही थी।
बार बार कह रही थी,मनुष्य बड़ा मूर्ख है,,
 आधुनिकता के बनावटी चक्कर में पड़ा, 
मिलावटी दुनियां में जी रहा ढीठ है, हम अक्सर पार्कों में, खुली जगहों पर जाते हैं मगर वहाँ रहते नहीं।
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