बिना रूह के जिस्म ,के समान होती है । अगर ज़मी जिस्म है ,तो रूह आसमान होती है। बिना धड़कनो के , क्या दिल भी कोई होता है , बिना दूल्हे के भी , क्या कोई बारात होती है । हर इन्सां के लिए , मोहब्बत इक सरमाया है , इससे बढकर, क्या कोई सौगात होती है । निज़ामे-ख़ल्क़ टिका है, उल्फत के सतूनो पर, बिन बादल के भी कभी, क्या बरसात होती है। बहता है इश्क़ दुनियाँ मे, मानिन्दे र॔गो- बू , बिना इश्क़ के नहीं यहाँ, कोई बात होती है । OPEN FOR COLLAB✨ #ATप्यारबिनाज़िन्दगी • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.