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पता ही नहीं चला वो कब आए और जहर मेरे अपनों में बो

पता ही नहीं चला वो कब आए
और जहर मेरे अपनों में बो गए

मैं गीत लिखता रह गया प्यार के 
मेरे दोस्त नफरतों के हो गए

तर्क वितर्क कुतर्क सब लगा कर
मुझे समझाते हैं नफरतों की महानता

इतने तो जालिम नहीं थे यार तुम
ऐसे फिर क्यूं तुम हो गए
 
-Swanand Kirkire Swanand Kirkire Quotes
पता ही नहीं चला वो कब आए
और जहर मेरे अपनों में बो गए

मैं गीत लिखता रह गया प्यार के 
मेरे दोस्त नफरतों के हो गए

तर्क वितर्क कुतर्क सब लगा कर
मुझे समझाते हैं नफरतों की महानता

इतने तो जालिम नहीं थे यार तुम
ऐसे फिर क्यूं तुम हो गए
 
-Swanand Kirkire Swanand Kirkire Quotes