पता ही नहीं चला वो कब आए और जहर मेरे अपनों में बो गए मैं गीत लिखता रह गया प्यार के मेरे दोस्त नफरतों के हो गए तर्क वितर्क कुतर्क सब लगा कर मुझे समझाते हैं नफरतों की महानता इतने तो जालिम नहीं थे यार तुम ऐसे फिर क्यूं तुम हो गए -Swanand Kirkire Swanand Kirkire Quotes