बिछड़के तुझसे हम क़रार पा न सके, बहार ढूँढने निकले थे खिजां के मौसम में, बहार आई चमन में मगर अफ़सोस रहा, वो गुल ही सूख गए, जो बाहर पा न सके! #PravejSabri P@mmi ©Written By Pravej Sabri #Roses