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आजकल ख़ामोशी, फज़ाओं पर तारी है । क़ुदरत की न जाने

आजकल ख़ामोशी, फज़ाओं पर तारी है ।
क़ुदरत की न जाने , ये कैसी अय्यारी है।
तीरग़ी से नहीं आतीं, अब कोई  सदाएँ,
वीरानों पर छाई , हर शू, ख़ुमारी है ।
बुलबुलें  ख़ामोश हैं और , ग़ुल उदास हैं,
 लगता है ,चमन पर ,कोई खौफ भारी है।
समन्दर भी आजकल , सहमा हुआ है ,
लहरों की लगता है, आहो-बक़ा जारी है।
ख़ामोशी  बहुत कुछ , कहती है लेकिन ,
अगर हम न समझें, यह ख़ता हमारी है । 
 OPEN FOR COLLAB✨ #ATआजकलख़ामोशी
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 

Collab with your soulful words.✨ 

• Must use hashtag: #aestheticthoughts 

• Please maintain the aesthetics.
आजकल ख़ामोशी, फज़ाओं पर तारी है ।
क़ुदरत की न जाने , ये कैसी अय्यारी है।
तीरग़ी से नहीं आतीं, अब कोई  सदाएँ,
वीरानों पर छाई , हर शू, ख़ुमारी है ।
बुलबुलें  ख़ामोश हैं और , ग़ुल उदास हैं,
 लगता है ,चमन पर ,कोई खौफ भारी है।
समन्दर भी आजकल , सहमा हुआ है ,
लहरों की लगता है, आहो-बक़ा जारी है।
ख़ामोशी  बहुत कुछ , कहती है लेकिन ,
अगर हम न समझें, यह ख़ता हमारी है । 
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