बेरोजगारी और उधारी बहने है जब आदमी बेरोजगारी की कगार पर खड़ा होता है तो उधारी उसे सोहलियत लगती है पर उधारी वो डायन है जो बेरोजगार को खा जाती है। बेरोजगारी का ये आलम है कि आम लोग गरीब हो रहे हैं। जो गरीब थे वो भीख मांगने को मजबूर हैं। जो भिखारी थे वो तो दिख ही नहीं रहे। सीधा गायब हो गए। पता नहीं कहां। कोई जानना भी नहीं चाहता। किसी को परवाह नहीं या किसी को इसलिए नहीं जानना कि वो जवाब सुन नहीं पायेगा। ये त्रासदी ऐतिहासिक है।