ऋतु ने आज आवाज़ दी नभ में मेघों ने हलचल की है कर रही लताएं वृक्षों का श्रृंगार सावन नेे कैसी आग लगाई है कृषक के घर झूमकर आई खुशहाली फसल उगाने की बेला संग लाई है झर झर बरसेगा अब के सावन हर दिल ने यही इच्छा जताई है। कोई शिव, कोई कृष्ण भक्ति में लीन प्रेमिकाओं ने झूलों पर डोर लगाई है प्रेम रस में डूबी सब सखियाँ हिना की महक ने सारी नगरी महकाई है गूँज रहा संगीत उपवन उपवन सुमन और तितली ने जुगलबंदी गाई है कर रहे मोहित मयूर नृत्य से याद इस सावन में मोहन की आई है। © दिप्ती जोशी ऋतु ने आज आवाज़ दी नभ में मेघों ने हलचल की है कर रही लताएं वृक्षों का श्रृंगार सावन नेे कैसी आग लगाई है कृषक के घर झूमकर आई खुशहाली फसल उगाने की बेला संग लाई है झर झर बरसेगा अब के सावन