Village Life लालिमा छा रही आकाश पे फिर नया जीवन सा सूर्य उदित हो रहा है, हताशाओ से निराश था मन देख कर इसे वह मुदित हो रहा है, आशाओं के बीज निकले जमी पर अद्भुत सा ही ये कृत्य हो रहा है लालिमा छा रही आकाश पे फिर नया जीवन सा सूर्य उदित हो रहा है। एक लक्ष्य जो धूमिल हुआ दूसरा फिर उद्घाटित हो रहा है, हताश है तो,रोता क्यूं है बंदे तेरे ही लिए सब निमित्त हो रहा है, लालिमा छा रही आकाश पे फिर नया जीवन सा सूर्य उदित हो रहा है। देखने की बस तू बदल ले नजर तेरे ही लिए ये नित हो रहा है, लक्ष्य पाने फिर चल दे रास्ते पर देखेगा एक रोज सब सत्य हो रहा है, लालिमा छा रही आकाश पे फिर नया जीवन सा सूर्य उदित हो रहा है।। ©विधु लेख morning wibes