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नन्हीं सी परी मेरी लाडली आंगन को महकाती है हसती ख

नन्हीं सी परी मेरी लाडली आंगन को 
महकाती है
हसती खेले बीच चौबारे मन ही मन 
मुश्काती है
ज्योति जैसी उज्जवल बेटी अंधकारों पे
भारी है 
मम्मी की है घणी लाडली पापा की राज
दुलारी है
मां लक्ष्मी का वास हो बेटी मां सरस्वती 
का साज है
कभी भवानी मां कल्याणी दुष्टों का
अभिशाप है 
जीवन की मुस्कान है बेटी तभी तो पूजी
जाती है
खिला कमल सा सुंदर बेटी मन मंदिर 
में बस जाती है
रही चंद्र सी सीतल बेटी गंगाजल से 
पावन है
बिना पाप के निश्चल बेटी लगे धूप मन
भावन है
ऋषिपाल भाटी

©Rishipal Bhati
  #नन्ही_सी_परी