दिल की लगी ना कभी बुझे। ऐसी अगन इश्क़ की लगी है मुझे। जर्रे जर्रे हर सांसों में बसाना चाहूंँ। यही दुआ बस रब से माँगना चाहूंँ। मेरे दिल को तेरी दिल्लगी लगी है। धीरे धीरे मेरी तिश्नगी बढ़ रही है। बढ़ जाती है मेरे दिल की प्यास। जब तुम होते हो मेरे पास। ये इश्क़ का नशा या है तेरी बंदगी आँखों में तेरा ही सज़ा है ख़्वाब। तेरा ज़िन्दगी में शामिल होना दिल खुदा से माँगे यही रूबाब। और क्या रब से मैं चाहूंँ बस एक तेरा साथ चाहूंँ। दूर गगन में यह पंछी तेरे संग उड़ना चाहूंँ। ♥️ Challenge-957 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।