समझता नहीं हूँ फर्क अपने-पराये का इन्सानो को पढ़ने का हुनर चाहता हूँ अपने दम पे जीऊँ जब तक मैं जीऊँ बस इतनी सी ही मैं उमर चाहता हूँ सदियों से उनसे रूबरू नहीं हुआ हूँ कोई कह दे तो उनकी खबर चाहता हूँ मुश्किलों भरे रस्ते तय किये है मैंने आसानी भरा अब सफर चाहता हूँ तुमसे ही जिंदगानी ये रोशन हैं "कृति" हर नाम में बस तेरा ज़िकर चाहता हूँ © अनकहे अल्फाज़ ! सीमांत #अनकहेअल्फ़ाज़ #kriti #yqdidi #yqquotes #yqthought