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ख्वाब, चाहत, ख्वाहिशें, कुछ ज्यादा ही पाल रखे थे इ

ख्वाब, चाहत, ख्वाहिशें, कुछ ज्यादा ही पाल रखे थे
इच्छा, भाव, उम्मीद बहुत ज्यादा ही फरमाइशें करते थे
जीवन के ऐसे मोड़ पर आकर ठहरें, दूर दूर तक बस अकेले थे

आज तन्हा बैठ वो लालच जो बर्बादी की ओर ले आई
उसे सोच अफ़सोस ही हम कर सकते है और कुछ ना बचे थे
आज यकीं हुआ ज़िंदगी सिर्फ जीने का नाम है बाकी सब तो लगाव है!  📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 190 में स्वागत करता है..🙏🙏

💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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nehapathak7952

Neha Pathak

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