#OpenPoetry मंजूर ना था हमे , तेरे शहर में दस्तक देना मगर मजबूरियों ने वो भी करवा लिया हमसे फिर क्या...चिढ़ाने लगा मुझे वो जर्रा जर्रा गुजरे थे जहां से कभी , हाथो में हाथ डाल के #OpenPoetry जर्रा