बदलते वक्त में मुझे सच का आईना दिखा था फिर मैंने वो पढा जो मेरे अंदर लिखा था फिर भी तुमको याद करने की नादान सी गलतीयां होती रहीं दिल से बेवकूफ था कम्बखत कहां पढा लिखा था # कवि लक्ष्य