जुदा हो ,ये आख़री फ़र्ज़ निभाना तुम मेरी गलियों से लौट, पैबंद जाना तुम दाहिनी पायल, आख़री निशानी रहने दो इश्क़ ना सही, उल्फ़त मुँह ज़बानी रहने दो टुकड़ों मे मिली वफ़ा को सम्भाल रखूँगा हाँ मै वक़्त पर खाऊँगा, ख़याल रखूँगा मेरा हाल जो पूछे कोई, कुछ यूँ बताना ना उदास होना, ना ख़ुशी से मुस्कुराना कुछ अनायास ही अपना बना लेंगे तुम्हें यहाँ सब वास्ता, हमदर्दियों का देंगे तुम्हें ये ठंडे आँसुओं से, हाँथ अपना सेकेंगे मेरा ज़िक्र कर, निगाहों की तरफ़ देखेंगे आँसू आँखों के मेरे महबूब, ना दिखने देना सस्ती महफ़िलों में मोहब्बत ना बिकने देना जवाब ढूँढोगे तो हर सवाल मिल जाएगा आँखे मूँद मेरा हाल चाल मिल जाएगा मुस्कराना आख़री ख़त मत मायूस रखना मेरी मोहब्बत कहीं कोने मे महफूस रखना जुदा हो ,ये आख़री फ़र्ज़ निभाना तुम मेरी गलियों से लौट पैबंद जाना तुम #पैबंद- THE LAST LETTER #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqhindi #poemoftheday #हिंदी_कविता जुदा हो ,ये आख़री फ़र्ज़ निभाना तुम मेरी गलियों से लौट, पैबंद जाना तुम दाहिनी पायल, आख़री निशानी रहने दो इश्क़ ना सही, उल्फ़त मुँह ज़बानी रहने दो