राम बसे है रोम-रोम मैं श्याम बसे है ह्रदय मैं प्रियाकांत जू राम-श्याम हैं उन्हें बसा लूं अंतर्मन मैं वो ही मात- पिता मैं दिखते वो ही स्वामी.. वो ही प्रियतम कमलासन है प्रभुवर मोरे हर लेते जग के सब तम वो ही गिरधर गिरिधारी वो ही भक्त वत्सल बिहारी याद कर- कर गोपियां जमना तट पर हारी दिल से दिल तक जो बसे है बातों मैं दिल की जो रमे है दिल से ही जो याद करूं "हरप्रीत" उनकी मेरी खूब जमे है ।। राम बसे है रोम-रोम मैं श्याम बसे है ह्रदय मैं प्रियाकांत जू राम-श्याम हैं उन्हें बसा लूं अंतर्मन मैं वो ही मात- पिता मैं दिखते वो ही स्वामी.. वो ही प्रियतम कमलासन है प्रभुवर मोरे