तेरी उदास आँखों में सदियों के इंतजार देखे हैं, जहाँ छलकती थी शरारत, आज वीरानीयों के बाजार देखे हैं, जहाँ गुजारी है दौरे जवानी सारी, आज उन गेसुओं में धूल के गुबार देखे हैं, तुझे याद हो ना हो मोहब्बत हमारी, हमने सूखी सी तेरी आँखो में पुरानी यादों के ज्वार देखे हैं।। #अंकित सारस्वत# #याददाश्त इस लेख में कोमा के मरीज की हालत कहने की कोशिश की है।