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खामोश फिजा थी कहीं साया भी न था इस शहर में हमसा को

खामोश फिजा थी कहीं साया भी न था
इस शहर में हमसा कोई तन्हाभी न था
किस जुर्म पे छीनी गई मुझसे मेरी हँसी
मैने किसी का दिल तो दुखाया भी न था
सद्दाम हुसैन अररियावी

©SADIQUE HUSSAIN 
  मेरी हँसी

मेरी हँसी #विचार

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