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तेरी चुप्पी हरा देती है मुझे जब अंदर तूफान मचा हो

तेरी चुप्पी हरा देती है मुझे
जब अंदर तूफान मचा हो
तब डर से डरा नींद से जगा देती है मुझे
बहुत सोचती हूं मैं खुद को संभालूं
पर तेरा इस तरह मौन रहना 
एक टीस से बेमौत मर जाता है मुझे
इस दर्द से अच्छा तो मैं दूर हो जाऊं
तुझे भी राहत मिले 
कसक मेरी भी कम हो जाए
जी तो लेंगे जैसे तैसे बस यादें मिल जाए मुझे

©aditi the writer
  #againstthetide  Niaz (Harf) R Jain Kundan Dubey Kumar Shaurya