पत्थर का दिल होता तो भी उसे मूरत की तरह पूजता उसकी तस्वीर दिखाकर और कितनों से पता पुछता कोई तो होगा जो उसके घर आता जाता होगा कोई तो होगा जो हम दोनों को जानता होगा कल तस्वीर और उसे बार-बार देखता रह गया नींद खुल गयी सपनें में भी उससे मिलना रह गया ये कैसा अज़ीब रिश्ता बना है मेरा उसके साथ ख्वाबों में भी नहीं देख पाता उसको मेरे साथ पत्थर का दिल होता तो भी उसे मूरत की तरह पूजता उसकी तस्वीर दिखाकर और कितनों से पता पुछता कोई तो होगा जो उसके घर आता जाता होगा कोई तो होगा जो हम दोनों को जानता होगा कल तस्वीर और उसे बार-बार देखता रह गया नींद खुल गयी सपनें में भी उससे मिलना रह गया ये कैसा अज़ीब रिश्ता बना है मेरा उसके साथ ख्वाबों में भी नहीं देख पाता उसको मेरे साथ