तुमसे मिल के जाने क्यूं, खुद पर यकीं हाे गया डूबती हुई कश्ती काे जैसे साहिल मिल गया शाम 6 बजे तक की सभी रचनाएँ मान्य होंगी केवल। फॉन्ट छोटा और बॉक्स के अंदर ही लिखें लिखने के बाद पोस्ट पर आकर कमेंट में "DONE" ज़रूर लिखें। सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻